आवारापन बंजारापन...(मेरा पसंदीदा गीत)
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में...
इस धरती पर जिस पल सूरज रोज़ सवेरे उगता है,
अपने लिए तो ठीक उसी पल रोज़ ढला है सीने में
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,
हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में...
जाने ये कैसी आग लगी है, इस में धुंआ न चिंगारी,
हो ना हो इस बार कहीं कोई ख्वाब जला है सीने में,
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,
हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में...
जिस रस्ते पर तपता सूरज सारी रात नहीं ढलता,
इश्क की ऐसी राह गुजर को हमने चुना है सीने में,
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,
हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में...
कहां किसी के लिए है मुमकिन सब के लिए एक सा होना,
थोड़ा सा दिल मेरा बुरा है, थोड़ा भला है सीने में,
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,
हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में...
दिल जिस चीज को हां कहता है, ज़ेहन उसी को कहता है न
इश्क में उफ ये खुदी से लड़ना एक सजा है सीने में
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,
हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में...
खंजर से हाथों पे लकीरें कोई भला क्या लिख पाया,
हमने मगर एक पागलपन में खुद को छला है सीने में,
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,
हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में
ये दुनिया ही जन्नत थी, ये दुनिया ही जन्नत है,
सब कुछ खो कर आज ये हम पर भेद खुला है सीने में
आवारापन बंजारापन एक ख़ला है सीने में,
हर दम हर पल बेचैनी है, कौन बला है सीने में
----सईद कादरी----
जगदीप आज ब्लोग पर कविता नही पढ़ी...
ReplyDeleteयह जो गीत लिखा है इसमे मेरे ख्याल से हल्ला है सीने में होगा शायद पक्का नही...