मेरी होली
कामना करता हूं आप सब ने अपने अपने ढंग से अपनी होली को खूब मस्ती और खुशगवारी से मनाया होगा। रंग मुझे भी अच्छे लगते हैं, लेकिन मैं इस तरह होली नहीं मनाता। वैसे मेरी होली भी खास रही। मैंने अपनी होली अपने ही घर में बनाई अपनी लाइब्रेरी में बिताई। दोपहर 12 बजे के करीब मैंने लम्बे समय से अस्त व्यस्यत हालात में पड़ी अखबारों को सहेजा। दरअसल सात साल के पत्रकारिता के सफर के दौरान मैंने बहुत सामान जुटाया है। करीब सात साल के दैनिक जागरण की कम्पलीट फाइल के साथ ही अंग्रेजी और पंजाबी के अखबारों की जरूरी कटिंग रखी हैं। इसके अलावा पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू साहित्य की कुछ किताबें भी लाइब्रेरी का हिस्सा हैं। अगर किसी को कभी जरूरत पड़े तो रेफ्रेंस के लिए कोई भी इसे प्रयोग कर सकता है। आपकी सेवा कर मुझे खुशी होगी। सो ये होली इन सब के रंगों में रंग कर इन्हें व्यविस्थत करते हुए मनाई। जाहिर है, पुरानी चीजों के साथ वक्त बिताते हुए कुछ पुरानी यादों और घटनाओं ओर भी ध्यान गया, लेकिन खुशी के मौके पर बुरी बातों का जिक्र करना भी मुनासिब नहीं। देश की गंगा जमुनी तहजीब के रंग अखबारों की सुर्खीयों में मिलते हैं। बस इस दौरान जिंदगी के सफर में तय किए मील के पत्थरों का अहसास हुआ। दुआ है कि इस त्योहार के रंगों में रंगे, हम मजहबों, जातों, क्षेत्रवाद को भूल ताउम्र यूं ही कदम कदम दर कदम मिल कर साथ चलते रहेंगे। आमीनमेरे छोटे भाई ने इस दिन की यादों को कैमरे में कैद कर लिया। आप सब से बांट रहा हूं।
दीप जी
ReplyDeleteहोली मनाने का आपका अन्दाज़ भी खूब रहा। बढ़िया है। खुश रहए, मस्त रहिए- यही ज़िन्दगी है।
thoda alag raha in rango mein holi manana lekin rango se aisi bhi kya dushmani, thoda hara neela peele ho jaate to jyada maza aata :D
ReplyDeleteek request hai, kripya word verification hata dijiye.isse kaafi asuvidha hoti hai aur kai baar log tippani karna bhi chahte hain to nahin karte.
बहुत वधीया, तुहाड़े कोल इन्ना वड्डा क्लेक्शन है...। इंसान नु जिस चिज नाल प्यार हो जांदा है उस दे आले-दुआले ही रहिण नुं जी करदा है भावें ओह किताबां होण या होर कोई चीज...। ऐह तां दीवानगी दी इक हद हुंदी है ते उस ते निरभर करदा है कि उह उस नुं किन्ना कु चाहंदा है... चलो बहुत... तुहाड़ा ब्लाग वेख के खुशी होई।
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